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क्रिया

क्रिया

HINDI VYAKARAN, सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण, HINDI GRAMMER ,HINDI GRAMMER MCQ

सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण (SAMPURNA HINDI VYAKARAN) सीरिज के द्वारा आपको हिंदी व्याकरण की संपूर्ण जानकारी देने प्रयास है। सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण (SAMPURNA HINDI VYAKARAN) सीरिज के माध्यम से हिंदी व्याकरण के सभी पाठों के जानकारी और हिंदी व्याकरण MCQ आपके लिए उपलव्ध कराया गया है I जो आपके लिए उपयोगी साबित होगा और आपके हिंदी व्याकरण का ज्ञान को एक नए स्तर पार ले जायेगा I



    क्रिया की परिभाषा – 

    जिन शब्दों या शब्द समूह  से किसी कार्य का होना या  करना व्यक्त हो उन्हें क्रिया कहते हैं।
    जैसे -आना ,जाना ,खाना ,पीना आदि ।
    क्रिया एक विकारी शब्द है । अत : लिंग , वचन और कारक क्रिया की रूप – रचना पर प्रभाव डालते हैं I
    सीता गा रही है।
    श्याम दूध पी रहा है।
    सोहन कॉलेज जा रहा है।
    तुम मेरे लिए दूध लाओ।

    धातु – क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है।
    जैसे – लिख, पढ़, जा, खा, गा, रो आदि।

    क्रिया का सामान्य या  मूल् रूप –

     धातु में ‘ ना ‘ प्रत्यय लगाकर क्रिया का सामान्य या  मूल् रूप   व्यक्त किया जाता है।

    जैसे – लिखना, पढ़ना, जाना, खाना, गाना, रोना आदि क्रिया का सामान्य या  मूल् रूप  ।

    क्रिया के भेद 

    क्रिया के कर्म, संरचना(बनावट)और काल के आधार पर भी क्रिया के अलग-अलग भेद होते हैं।
    - कर्म के आधार पर क्रिया के भेद
    - काल के आधार पर क्रिया के भेद
    - संरचना के आधार पर क्रिया के भेद

    कर्म के आधार क्रिया के दो होते होते हैं

    1 . सकर्मक क्रिया
    2 . अकर्मक क्रिया

    1. सकर्मक क्रिया

    जिस क्रिया के कार्य का फल कर्त्ता को छोड़कर कर्म पर पड़े उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं अर्थात इन क्रियाओं में कर्म अवश्य होता हैं।
    उदाहरण-
    राम आम खाता है। यहाँ ‘आम’ कर्म है। क्रिया ‘खाता’ है’  जिसका  फल कर्म ‘आम’ पर पड़ा है।अतः ‘खाना‘ क्रिया सकर्मक है।

    2 . अकर्मक क्रिया

    जिन क्रियाओं में कोई कर्म नहीं होता और उनके होने का फल कर्त्ता ही पड़ता है, वे अकर्मक क्रिया कहते हैं

    जैसे – बच्चा रोता है। इन वाक्य में क्रिया करने वाले ‘बच्चा’ है जो कर्त्ता हैं। यहाँ इसी पर क्रिया का सारा फल पड़ रहा है। अतः ‘रोना‘ अकर्मक क्रिया हैं। 

    काल के आधार पर क्रिया के भेद

    जिस काल में क्रिया सम्पन्न होती है उसके अनुसार क्रिया के तीन भेद हैं –

    1 . भूतकालिक क्रिया

    2 . वर्तमानकालिक क्रिया

    3 . भविष्यत कालिक क्रिया

    1 . भूतकालिक क्रिया

    जिस क्रिया द्वारा बीते समय में कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है, भूतकालिक क्रिया कहलाती है।

    जैसे: तुमने बहुत सुन्दर गीत गाया।

    2 . वर्तमानकालिक क्रिया

    क्रिया के जिस रूप से  वर्तमान समय में कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है, वर्तमानकालिक क्रिया कहलाती है।
    जैसे:
    मैं आम खा रहा हूँ।
    वह पुस्तक पढ़ रहा हैं।

    3 . भविष्यत कालिक क्रिया

    क्रिया के  जिस रूप से आने वाले समय में कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है, भविष्यत कालिक क्रिया कहते हैं।
    जैसे –
    हमलोग कल अमेरिका जायेंगे।
    प्रियांशु स्कूल पढ़ने नहीं जायेगा।

    संरचना ( बनावट)के आधार पर क्रिया के पाँच प्रकार होते हैं-

    1 . संयुक्त क्रिया
    2 . नामधातु क्रिया
    3 . प्रेरणार्थक क्रिया
    4 . पूर्वकालिक क्रिया
    5 . कृदंत क्रिया

    1 . संयुक्त क्रिया

    जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर किसी पूर्ण क्रिया को बनाती हैं, वे संयुक्त क्रियाएँ कहलाती हैं।
    ऐसे वाक्य में मुख्य तथा सहायक क्रिया साथ में मिलकर आता है।
    • उसने सांप को मार डाला।
    •  मीरा  स्कूल चली गई।
    •  वह खा चुका।
    •  मीरा महाभारत पढने लगी।
    •  प्रियंका ने दूध पी लिया।

    2 . नामधातु क्रिया

    मूल धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों (जैसे संज्ञा सर्वनाम तथा विशेषण) में प्रत्यय लगाकर बनने वाली क्रिया को नामधातु कहते हैं।

    जैसे –
    • दुखाना,
    • हथियाना,
    • लजाना,
    • ठगना,
    • शर्माना,
    • चिकनाना,

     3 . प्रेरणार्थक क्रिया

    ऐसे वाक्य में कर्ता किसी कार्य को स्वयं ना करके किसी अन्य को प्रेरित करता हो,उसे प्रेरणार्थक कहते हैं।
    जैसे-
    माता बहन से भाई को राखी बंधवाती है।
    यहां माता स्वयं राखी नहीं बांधी हैं ,बल्कि बहन  को बंधवाने के लिए प्रेरित करती है,अतः यह प्रेरणार्थक है।
    ऐसे  वाक्यों में दो प्रकार के कर्ता होते हैं 1.प्रेरणा देने वाला 2. प्रेरणा पाकर कार्य करने वाला।

    4 . पूर्वकालिक क्रिया

    जिन वाक्य में एक से अधिक क्रिया का प्रयोग हो और दूसरी क्रिया से पूर्व कोई पहली क्रिया हुई हो वहां पहली  क्रिया  पूर्वकालिक क्रिया मानी जाती है
    जैसे – उसने खेल कर दूध पिया
    यहां खेलकर पूर्वकालिक है,  जबकि दूध पिया बाद की है।

    5 . कृदंत क्रिया

    चल , लिख , पढ़ आदि मूलधातु हैं । इनके साथ ता , ना , कर आदि प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनाते हैं । ऐसी क्रियाएँ कृदंत क्रियाएँ कहलाती हैं । 
    जो क्रियाएँ , क्रिया शब्दों के अंत में प्रत्यय  लगाकर बनती हैं , उन्हें कृदंत क्रियाएँ कहते हैं I

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