पद परिचय

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    पद परिचय:- परिभाषा

    वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द पद कहलाता हैं तथा उन शब्दों के व्याकरणीय परिचय को पद परिचय कहते हैं।

    शब्द

    वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं। शब्द भाषा की स्वतंत्र इकाई होते हैं जिनका अर्थ होता है।

    जब आप एक से अधिक वर्णों को मिलाकर कोई शब्द बनाते हैं तो वो जरुरी नहीं कि शब्द कहा जाए l जब वर्ण के मेल का सार्थक मतलब होता है तभी उसे शब्द की परिभाषा दी जा सकती है।

    उदाहरण:-

    क + ल + म = कलम

    क + म + ल = कमल

    ल + म + क = लमक

    ल + क + म = लकम

    ऊपर दिए गए उदाहरणों को ध्यान से देखिए, ऊपर दिए गए केवल दो ही उदाहरण शब्द कहा जा सकते हैं। बाकी के दूसरे दो नहीं कहे जा सकते क्योंकि ‘कलम’ शब्द का अर्थ होता है कि ‘लेखनी’ और ‘कमल’ शब्द का अर्थ होता है कि ‘विशेष प्रकार का फूल’। यह दोनों शब्द पर से हमें किसी चीज का अर्थ पता चलता है यह शब्द को संज्ञा दी जा सकती है। बाकी के दो लकम और लमक शब्द का किसी भी प्रकार का अर्थ प्रगट नहीं होता, या दोनों शब्द सार्थक वर्ण समूह रूप में नहीं है इसलिए वह शब्द नहीं कहलाते।

    पद

    वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द पद कहलाता हैं।

    जब कोई शब्द का प्रयोग वाक्य में व्याकरण के नियमों के हिसाब होता है तभी उसे पद कहा जाता हैं।

    उदाहरण:-

    राम, पत्र, पढ़ना – शब्द हैं।

    राम पत्र पढ़ता है।

    राम ने पत्र पढ़ा-इन दोनों वाक्यों में अलग-अलग ढंग से प्रयुक्त होकर राम, पत्र और पढ़ता है पद बन गए हैं।

    शब्द और पद में अंतर

    शब्द

    पद

    शब्द वाक्य से स्वतंत्र होते हैं।

    शब्द का प्रयोग वाकया मे होता है तब
    पद कहलाता है, पद स्वतंत्र नहीं होते हैं

    शब्द अनेकार्थी होते हैं।

    पद वाक्य में एक अर्थ का बोध कराता है।



     

     

    शब्दों के भेद

    शब्दों के भेद निम्नलिखित आधार के उपर किए जाते हैं –

    उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के भेद

    बनावट के आधार पर शब्दों के भेद

    प्रयोग के आधार पर शब्दों के भेद

    अर्थ के आधार पर शब्दों के भेद

    उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में बाँटा जाता है –

    1.    तत्सम शब्द

    2.    तद्भव शब्द

    3.    देशज शब्द

    4.    आगत या विदेशी शब्द

    तत्सम शब्द-

    ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा से जैसे के तैसे हिन्दी भाषा में लिये गये है या उपयोग किये जाते है उन्हें तत्सम शब्द कहते है| तत्सम शब्दों को हिन्दी भाषा में प्रयोग करने पर उनमे कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है|
    इन्हें हम संस्कृत के शब्द भी कह सकते है| मतलब हिन्दी भाषा में जो संस्कृत भाषा के शब्द ही वे ही तत्सम शब्द है और जिनमे कोई परिवर्तन नहीं है|
    जैसे:-प्रौद्योगिकी,आकाशवाणी,दीपक, अग्नि, क्षेत्र, वायु,पृथ्वी, रात्रि, सूर्य

    तद्भव शब्द-

    ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा से हिन्दी भाषा में लिये गये है, किन्तु उनका रूप बदल गया है वे शब्द तत्भव शब्द कहलाते है|
    अग्नि = आग ,क्षेत्र = खेत ,रात्रि = रात ,सूर्य = सूरज ,नृप = राजा, हस्त = हाथ, कर्ण = कान, गर्दभ = गधा ,अक्षि = आँख

    देशज शब्द-

    जो शब्द क्षेत्र और स्थानीय भाषाओँ से हिन्दी भाषा में परिस्थिति और आवश्यकतानुसार प्रचलित हो गये है, उन्हें देशज शब्द कहते है|
    साधारण भाषा में देशज शब्द वे शब्द होते है जिनकी उत्पत्ति देश में ही हुई है और जो पारंपरिक स्थानीय भाषा से हिन्दी के शब्द कोष में जोड़े गये है, वे शब्द देशज शब्द कहलाते है|
    जैसे:– पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, रोड़ा, बैंगन, सेब, खटखटाना, पगड़ी, मनई, मेहरारू, कपास, अंगोछा, खिड़की, ठक-ठक




    आगत या विदेशी शब्द

    वे शब्द जो विदेशी भाषाओँ से हिन्दी भाषा में आये है उन्हें विदेशज शब्द कहते है आजकल विदेशी लोगो के साथ संपर्क में आने पर विदेशी शब्दों का बहुत अधिक प्रयोग होने लगा है|
    भारत में स्थानीय भाषओं को छोड़कर जितनी भी भाषा है सभी विदेशी भाषा है और इनसे जो शब्द हिन्दी में प्रयोग किये जाते है वे विदेशज शब्द कहलाते है|


    अरबी शब्द के उदाहरण • बर्फ, बगीचा, कानून, काज़ी, करामात, फ़ौज, दरवाज़ा
    फारसी शब्द के उदाहरण • नालायकी, शादी, शेर, कम, कफ़, कमर, आफ़त
    अंग्रेज़ी शब्द के उदाहरण • पार्क, राशन, अफ़सर, सर्कस, हरीकेन, हाइड्रोजन, ट्रक
    पुर्तगाली शब्द के उदाहरण • मिस्त्री, साबुन, बालटी, पीपा, पादरी, फीता, गमला
    चीनी शब्द के उदाहरण • चाय, लीची, पटाखा, तूफ़ान
    यूनानी शब्द के उदाहरण • टेलीफ़ोन, टेलीग्राम, डेल्टा, ऐटम
    जापानी शब्द के उदाहरण • रिक्शा
    फ्रांसीसी शब्द के उदाहरण • कार्टून, इंजन, इंजीनियर, बिगुल

     

    बनावट के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं–

    (1) रूढ़

    (2) यौगिक

    (3) योगरूढ़

     

    (1) रूढ़ शब्द:– 

    ऐसे शब्द को खण्ड करने पर कोई सार्थक अर्थ नहीं निकलता है। ये शब्द किसी अन्य शब्द या शब्द खण्डों के मेल से नहीं बनते हैं। ये शब्द सदैव स्वतंत्र रहते हैं रूढ़ शब्द कहलाते हैं।

    रूढ़ शब्दों को 'मूल शब्दया 'अयौगिक शब्दभी कहा  जाता हैं।

    उदाहरण :– घोड़ा, मुख, पास, चल, बात, आग, गुण, फल, सरल, कठिन, बगीचा, लक्ष्मी, ऐरावत, कुत्ता, किताब, कौवा, नाक, राजा, लड़का, लड़की, छठ, घर, मन, धन, नेत्र, गंगा इत्यादि।

     

    2. यौगिक – 

    ऐसे शब्द एक या उससे अधिक रूढ़ शब्दों से मिलकर बनते हैंयौगिक शब्द कहलाते हैं I

    यौगिक शब्द को खंड किए जाने पर प्रत्येक खंड का अपना स्वतंत्र अर्थ होता है |

    जब किसी रूढ़ शब्द के साथ कोई अर्थवान शब्द या शब्द खण्ड (उपसर्ग व प्रत्यय) जुड़ता है तो वह यौगिक शब्द बन जाता है।

    उदाहरण – विद्यालय, पुस्तकालय, रेलगाड़ी

    घुड़सवार,रसोईघर,राजपुत्र,जेलखाना

    सहपाठी,राजपुरुष   आदि ।

     

    3. योगरूढ़ – 

    ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से मिलकर बनते हैं किंतु किसी विशेष अर्थ के लिए ही प्रयोग में लाए जाते हैं योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं I

    ऐसे शब्द जो बनावट में यौगिक शब्द के  समान  ही  होते   हैं परंतु किसी विशिष्ट या रूढ़ अर्थ हेतु प्रयुक्त होते हैं।

    उदाहरण – दशानन ,पीतांबर लंबोदरचंद्र,शेखर, नीरज, लंबोदर, चारपाई  आदि ।

     

     



    प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद

     

    प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं –

    (1) विकारी शब्द

    (2) अविकारी शब्द

     

    1. विकारी शब्द - जो शब्द समय स्थिति और संख्या के अनुसार बदल जाते हैं वह विकारी शब्द कहलाते हैं। उदाहरण में कुत्ता का कुत्ते, कुत्तों।

    2. अविकारी शब्द – जो शब्द समय स्थिति और संख्या के अनुसार नहीं बदलते हैं अविकारी शब्द कहलाते हैं।उदाहरण में जल्दी, साथ इत्यादि।


    विकारी शब्दों के भेद:-

     विकारी शब्दों के चार भेद होते है -

    (1) संज्ञा

    (2) सर्वनाम

    (3) विशेषण

    (4) क्रिया


    संज्ञा:-

    किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहते कहते हैI

    जैसे:-घोडा, गंगा, विद्यालय, राम, टेबल, मध्यप्रदेश, आदि|

     

    सर्वनाम:-

    सर्वनाम वैसे  शब्द होते है जो संज्ञा के स्थान पर उपयोग किये जाते है| जैसे:- यह, वह, इसको, उसको, मेरा, तुम्हारा आदि |

     

    विशेषण:-

    जो संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता का बोध करवाते है, उन शब्दों को विशेषण कहा जाता है

    जैसे: अजय बहादुर है| इसमें अजय संज्ञा है और बहादुर उसकी विशेषता (विशेषण) है|

     

    क्रिया:-

    क्रिया  का सामान्य अर्थ कार्य  होता  हैं I

    हम जो भी कार्य करते वह क्रिया कहलाता है या दुनिया में जो भी घटना होती है उस होने को क्रिया कहते है

    जैसे:-

    मैं लिखता हूँ| यहाँ लिखना एक क्रिया है

    आप खाना खाते है| यहाँ खाना, खाने की क्रिया है|

    इसी प्रकार उठाना, बैठना, जाना, आना, करना, होना, आदि सब क्रिया ही है|

     



    अविकारी शब्द:-

    ऐसे शब्द जो समय, काल या स्थिति और संख्या के अनुरूप नहीं बदलते है उनको अविकारी शब्द कहा जाता है| अविकारी का अर्थ “कोई परिवर्तन नहीं” होता है|

    जिसे प्रयोग करने पर उसके रूप में परिवर्तन नहीं होता है|


    अविकारी शब्दों के भेद:

    अविकारी शब्दों के निम्नलिखित  चार भेद होते है

    क्रिया-विशेषण

    संबंधबोधक

    समुच्चयबोधक

    विस्मयादिबोधक

     

    क्रिया-विशेषण:-

    जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते है उन्हें क्रिया-विशेषण कहा जाता है|

    जैसे:- जल्दी-जल्दी, जोर से, आदि|


    संबंधबोधक:-

    संज्ञा और सर्वनाम का आपस में संबंध स्थापित करने वाले शब्द संबंधबोधक कहालाते है|

    जैसे:-  के अनुसार, की जगह, के साथ, आदि|

     

    समुच्चयबोधक:-

    ये वे शब्द होते है जिनके प्रयोग से दो अलग अलग वाक्यों को एक वाक्य में या अलग वाक्य में जोड़ा जाता है|

    जैसे:-  लेकिन, बल्कि, यहाँ तक की, ताकि आदि|

     

    विस्मयादिबोधक:-

    ऐसे शब्द अचानक से बोले जाते है इनको बोलते समय आश्चर्य, ख़ुशी, हर्ष, दुःख, श्राप, दया आदि भाव उत्पन्न होते है|

    जैसे:- बाप रे बाप !, हे भगवान !, आह ! , हा !, हट ! , धिक् ! , धत !, जी हाँ ! , बहुत अच्छा! आदि|

     

    अर्थ के आधार पर शब्द के भेद

    अर्थ के आधार पर शब्द के मुख्यत: छह भेद हैI

    1. पर्यायवाची या समानार्थी शब्द – 

    जब अलग-अलग शब्दों का मतलब एक ही होता है तब वे पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।उदाहरण में आग – अग्नि, पावक। पानी – जल, नीर इत्यादि।

     

    2. समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द -

    ऐसे शब्द जो सामान सुनाई देते हैं परंतु उनका मतलब अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए मेल और मैल, बेल और बैल इत्यादि।

     

    3. विलोम या विपरातार्थक शब्द – 

    उल्टा अर्थ देने वाले शब्दों को विलोम या विपरीत शब्द कहा जाता है उदाहरण के लिए दिन का रात, अच्छा का बुरा इत्यादि।

     

    4. अनेकार्थी शब्द – 

    जिस शब्द का एक से अधिक अर्थ होता है वह अनेकार्थी शब्द होते हैं, परिस्थितियों के अनुसार उनका अर्थ पता चलता है। उदाहरण के लिए शेर जिसका मतलब एक जानवर या शायरी भी होता है, हार का मतलब पराजय या पहनने वाला हार भी होता है।

     

    5. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द – 

    जब एक शब्द से किसी पूरे वाक्य या कई शब्दों को मिलाकर का मतलब पता चले। उदाहरण के लिए जिसके माता-पिता ना हो – अनाथ, जो खंडित नहीं होता है – अखंड।

     

    6. एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द -

    जिन का अर्थ अलग अलग होता है लेकिन उन्हें बोलने या लिखने पर एक दूसरे के पर्यायवाची प्रतीत होते हैं। उदाहरण के लिए पाप और अपराध, गलत और गैर कानूनी।

     

    पद परिचय के प्रकार:

    प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते हैं-

    (1) संज्ञा

    (2) सर्वनाम

    (3) विशेषण

    (4) अव्यय

    (5) क्रिया विशेषण 

    (6) क्रिया

    (7) संबंधबोधक 

    (8) समुच्चयबोधक

     

    1) संज्ञा का पद परिचय   :

    किसी वाक्य में उपस्थित संज्ञा पदों का पद  परिचय  करते समय  संज्ञा के भेद, लिंग, वचन, कारक तथा क्रिया  के साथ उसका संबंध बतलाना आवश्यक होता है।

    संज्ञा शब्द का क्रिया के साथ संबंध कारक के अनुसार जाना जाता है। 

    उदाहरण

    1. लंका में राम ने बाणों से रावण को मारा।

    इस वाक्य में ‘लंका’, ‘राम’, ‘बाणो’, और ‘रावण’ चार संज्ञा पद हैं। 

    इन संज्ञा पदों का पद परिचय इस प्रकार दिया जाता  हैं

    लंका : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक। 

    राम : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक। 

    बाणों : संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक। 

    रावण : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक। 

     

    2) सर्वनाम का पद परिचय:- 

    सर्वनाम का पद परिचय बताने के लिए सर्वनाम का प्रकार, पुरुष के साथ, वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों से संबंधों को दिखाना होता है।

    उदाहरण- 

    जिनको आप लोगों ने बुलाया है, उसे अपने घर जाने दीजिए।

    इस वाक्य में ‘जिनको, ‘आप लोगों ने’, ‘उसे’ और ‘अपने’ पद सर्वनाम हैं। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा।

    जिसे : अन्य पुरुष, सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

    आप लोगों ने : पुरुषवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।

    उसे : अन्य पुरुष, सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

    अपने : निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक।

     

    (3) विशेषण का पद परिचय:

     विशेषण का पद परिचय बताने के लिए  विशेषण के भेद, अवस्था, लिंग, वचन और विशेष्य व उसके साथ संबंध आदि को बताना. का जरूरत होता हैंI

    विशेषण का लिंग कौन सा है, उसका वचन,विशेष्य के अनुसार होता है।

    उदाहरण - 

    ये चार किताबें बहुत बहुमूल्य हैं।

    उपर्युक्त वाक्य में ‘चार’ ,’बहुत’ और ‘बहुमूल्य’ विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पद परिचय निम्नलिखित है-

    तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य ‘किताब’ हैं।

    बहुत : संख्यावाचक,स्त्रीलिंग, बहुवचन।

    बहुमूल्य : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन।

    उदाहरण – 

    सज्जन मनुष्य बहुत बातें नहीं बनाते है।

    इस वाक्य में ‘सज्जन’ और ‘बहुत’ विशेषण पद हैं। 

    इसका पद परिचय इस प्रकार होगा :

    सज्जन : विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, इसका विशेष्य ‘मनुष्य’ है।

    बहुत : विशेषण, संख्यावाचक, अनिश्चयवाचक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, ‘बातें’ इसका विशेष्य है।

     

    (3) विशेषण का पद परिचय:- 

    विशेषण का पद परिचय करते समय विशेषण, विशेषण के भेद, अवस्था, लिंग, वचन और विशेष्य व उसके साथ संबंध आदि को बताना चाहिए , विशेषण का लिंग कौन सा है, उसका वचन,विशेष्य के अनुसार होता है।

    उदाहरण – 

    ये चार किताबें बहुत बहुमूल्य हैं।

    उपर्युक्त वाक्य में ‘चार’, बहुत’ और ‘बहुमूल्य’ विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पद परिचय निम्नलिखित है-

    तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य ‘किताब’ हैं।

    बहुत : संख्यावाचक,स्त्रीलिंग, बहुवचन।

    बहुमूल्य : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन।

    उदाहरण – 

    सज्जन मनुष्य बहुत बातें नहीं बनाते है।

    इस वाक्य में ‘सज्जन’ और ‘बहुत’ विशेषण पद हैं। 

    इसका पद परिचय इस प्रकार होगा :

    सज्जन : विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, इसका विशेष्य ‘मनुष्य’ है।

    बहुत : विशेषण, संख्यावाचक, अनिश्चयवाचक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, ‘बातें’ इसका विशेष्य है।